FIRE INSURANCE / फायर इंश्योरेंस

Fire Insurance / Fire Policy :- 

 

हैल्लो फ्रेंड्स

आज मैं आप सभी को फायर इंश्योरेंस ( Fire Insurance / Fire Policy ) के बारे में बताने जा रहा हूँ।

 

 फायर इंश्योरेंस :-

 

Fire Policy नॉन लाइफ इंश्योरेंस की श्रेणी में आता है। इसके तहत कंपनी , मकान , दुकान , गोदाम , बिल्डिंग- मेटेरियल्स , इत्यादि को कवर किया जाता है।

क्या-क्या कवर मिलता है ? :- 

फायर इंश्योरेंस के अंदर Fire (आग ) लगने से होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है। तथा साथ में भूकंप ( Earth-Quick ) ,आतंकी घटना (Terrorism)  आदि कारणों की वजह से होने वाले नुकसान की क्षति- पूर्ति की जाती है।

ऐसी कोई घटना होने के बाद जितने भी सामान का नुकसान होता है जैसे मशीनें , फर्नीचर , कच्चे-मॉल , तैयार-प्रोडक्ट्स इत्यादि सभी चीजें कवर की जातीं हैं।

घटनाओं के होने की वजह से सामानों की चोरी भी कवर की जाती है।

फायर इंश्योरेंस का स्पेशल लाभ :-

( Profit Of Fire Policy ) :-

सबसे पहले किसी को यह नहीं पता होता है की कब किसी कंपनी या गोदाम में आग लग जाये क्यों की आग किसी वजह से भी लग सकती है जैसे – शार्ट -सर्किट , केमिकल , या टेम्प्रेचर तथा भूकंप आदि घटनाओं की वजह से। अतः लाखों या करोड़ों की पूंजी को कुछ प्रीमियम दे कर सुरक्षित किया जा सकता है।

Importance of Fire Insurance

इसके साथ में फायर इंश्योरेंस कराने के बाद हीं लोन भी मिलता है। और क़ानूनी रूप से भी फायर इंश्योरेंस लाभदायक होता है।

फायर इंश्योरेंस कौन करा सकता है :-

( Eligibility of Fire Policy )

 

इसे कोई भी सम्पति मालिक करा सकतें हैं लेकिन ज्यादा- तर कंपनी , बड़े ट्रेडर्स अपने सामान या गोदाम का फायर इंश्योरेंस करातें हैं।

छोटे दुकानदार ( Shop Keepers ) भी यह बीमा करा सकतें हैं।

फायर इंश्योरेंस कहाँ से कराएं ? :-

( The Best Company For Fire Insurance )- 

इरडा से एप्रूव्ड ( IRDA approved General Insurance Company ) वे सभी जनरल बीमा कम्पनियाँ इस इश्योरेंस को करतीं हैं।

उदारहण के तौर पर मैं कुछ कंपनियों का नाम बता देता हूँ जैसे

      यूनाइटेड इंडिया इन्स्योरेन्स – ( United India Insurance Company Ltd ),
      न्यू इंडिया इंस्युरेन्स –           ( New India Insurance Company Ltd ),
      नेशनल इंस्युरेन्स, आदि । –   ( National Insurance Company Ltd ) , etc. .

 

क्लेम प्रोसेस ( Claim Process ):-

इसका क्लेम प्रोसेस सरल है। क्लेम के लिए घटना के तुरंत बाद कंपनी को डायरेक्ट या एजेंट के माध्यम से सूचित किया जाता है उसके बाद कंपनी अपनी कारवाही शुरू कर देती है। और इंस्पेक्शन कम्प्लीट होने के बाद क्लेम अमाउंट कंपनी द्वारा दे दिया जाता है।

हमें उम्मीद है की यह स्पेशल ब्लॉग आप सभी को पसंद आयी होगी और आप सभी इसका लाभ जरूर उठाएंगें।
यदि कोई प्रश्न हो तो जरूर कमेंट करें जल्द से जल्द रिप्लाई दिया जायेगा।

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